उत्पन्ना एकादशी आज, मंदिरों में सजेंगी झांकियां


श्रद्धालु करेंगे गीता और विष्णु सहस्त्रनाम पाठ

जयपुर।अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी मंगलवार को उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर व्रत रखेंगे। मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे। श्रद्धालु गीताजी और रामायण पाठ करेंगे। विष्णु सहस्रनाम और हरि नाम

 संकीर्तन करेंगे। ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराएंगे। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो विष्णु भक्त उत्पन्ना एकादशी के व्रत का नियम पूर्वक पालन करते हैं, उन्हें भगवान श्रीनारायण की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस मौके पर मंदिरों और घरों में सत्यनारायण भगवान की कथा होगी। पं. नीलेश शास्त्री ने बताया कि एकादशी तिथि मंगलवार को तड़के लग जाएगी जो मध्य रात्रि के बाद तक रहेगी। पद्म पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से धर्म एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।एकादशी पर गोविंद देवजी मंदिर में ठाकुर जी को लाल रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी तथा विशेष आभूषण धारण कराए जाएंगे। पुरानी बस्ती स्थित राधा गोपीनाथ, चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर, सरस निकुंज, रामगंज स्थित लाड़लीजी सहित अन्य मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे। रामगंज बाजार के कांवटियो का खुर्रा स्थित श्री श्याम प्राचीन मंदिर में महंत पं. लोकेश मिश्रा के सान्निध्य में श्याम प्रभु के समक्ष ज्योत प्रज्वलित कर भजनों से हाजिरी दी जाएगी। अन्य श्याम मंदिरों में भी आयोजन होंगे।

एकादशी व्रत की कथा

पद्म पुराण की कथा के अनुसार सतयुग में एक महा भयंकर दैत्य मुर हुआ था। दैत्य  मुर ने इंद्र आदि देवताओं पर विजय प्राप्त कर उन्हें स्वर्ग से भगा दिया। तब इंद्र तथा अन्य देवता भगवान श्री विष्णु की शरण में गए। देवताओं सहित सभी ने श्रीविष्णु जी से दैत्य के अत्याचारों से मुक्तकराने के लिए विनती की। भगवान विष्णु ने दैत्य का वध करने का आश्वासन दिया। जब दैत्यों ने भगवान विष्णु जी को युद्ध भूमि में देखा तो उन पर अस्त्रों-शस्त्रों का प्रहार करने लगे। भगवान विष्णु मुर को मारने के लिए जिन-जिन शस्त्रों का प्रयोग करते वे सभी उसके तेज से नष्ट होकर उस पर पुष्पों के समान गिरने लगे। विष्णु उस दैत्य के साथ लंबे समय तक युद्ध करते रह़े परन्तु उस दैत्य को नहीं जीत सके। अंत में विष्णुजी शांत होकर विश्राम करने की इच्छा से बद्र्रिकाश्रम में सिंहावती नाम की गुफा जो बारह योजन लंबी थी, उसमें शयन करने के लिए चले गए। दैत्य भी उस गुफा में चला गया कि आज मैं विष्णु को मार कर अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लूंगा। उस समय गुफा में एक कन्या उत्पन्न हुई़ और दैत्य के सामने आकर युद्ध करने लगी। दोनों में देर तक युद्ध हुआ। उस कन्या ने राक्षस को धक्का मारकर मूर्छित कर दिया और उठने पर उस दैत्य का सिर काट दिया। इस प्रकार वह दैत्य मृत्यु को प्राप्त हुआ। उसी समय श्री हरि की निद्रा टूटी। दैत्य को मरा हुआ देखकर आश्चर्य हुआ और विचार करने लगे कि इसको किसने मारा। इस पर कन्या ने उन्हें कहा कि दैत्य आपको मारने के लिए तैयार था, उसी समय मैने आपके शरीर से उत्पन्न होकर इसका वध किया है। भगवान श्री विष्णु ने उस कन्या का नाम एकादशी रखा, क्योंकि वह एकादशी के दिन विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थी। इसलिए इस दिन को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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