शनि की महत्वपूर्ण भूमिका

  • बाबूलाल शास्त्री, टोंक                                                                                                 
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान के निशुल्क परामर्श शिविर में बाबूलाल शास्त्री ने कहा कि ग्रहों में शनि की महत्वपूर्ण भूमिका है। शनि को दुख अभाव का कारक ग्रह माना जाता है। शनि के दो रूप है। यह चिंतनशील गहराइयों में जाने वाला योगी संन्यासी व खोज करने वाला ग्रह है। दूसरा जातक को दिवालिया कर भिखारी बना देता है। मानव को स्तर ऊंचा कर देता है या नीचा गिरा देता है। शनि जातक को उसके पूर्व जन्म के कर्मों  के अनुसार इस जन्म में शुभ अशुभ फल जो होते है उनको भुगतना होता है। शनि सुधरने का पूर्ण अवसर देते है, नहीं सुधरने पर कर्मोनुसार दंड देते है। शास्त्री ने बताया कि ग्रह दोष निवारण के लिए काली वस्तुओं चना, उड़द, काला कपड़ा, लोहा, तांबा, नीलम, तेल आदि का दान करें। पीपल पर जल चढ़ाए। चिडियों को बाजरा व मछलियों को आटा डाले। शनिवार के दिन लोहे के बर्तन में सरसों का तेल डालकर तांबे का पैसा भी तेल में डाल कर रोगी का मुंह तेल में दिखाकर तेल डाकोत को दें।

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