नवरात्र घटस्थापना आज, घरों-मंदिरों में माता की आराधना

जयपुर . महादेवी महामाता दुर्गा की आराधना का शारदीय नवरात्र महोत्सव मंगलवार को शुरू होगा। हर घर-मंदिर में नवरात्रि अनुष्ठान के लिए घटस्थापना होगी। जय भवानी-जय अम्बे और जय माता दी का उद्घोष शक्ति और श्रद्धा का संगम कराएगा। इसके लिए सोमवार रात मंदिरों में माता के भव्य दरबार सज गए। आमेर के शिलामाता मंदिर में नवरात्र प्रतिपदा पर सुबह 11:15 बजे घटस्थापना की जाएगी। वैदिक मंत्रोच्चार और तांत्रिक पद्धति से शिलामाता की प्रतिमा के समक्ष गर्भगृह में घटस्थापित होगा। दोपहर 12:30 बजे से श्रद्धालुओं के लिए पट खुल जाएंगे। पुजारी बनवारी झा ने बताया कि पट दोपहर 2:30 बजे तक खुले रहेंगे। इसके बाद दर्शनार्थियों की भीड़ बढ़ी तो पट खुले रखे जाएंगे। नवरात्र में प्रतिदिन सुबह 6 से दोपहर 12:30 और शाम को 4 से 8:30 बजे तक पट खुलेंगे। तारों की कूंट से राधे-राधे मित्र मंडल की ओर से पदयात्री माता को ध्वज अर्पित करेंगे।
दुर्गापुरा के प्राचीन दुर्गामाता मंदिर में सुबह 10:30 बजे घटस्थापना होगी। इसके बाद माता की अखंड ज्योत जगेगी। माता को सुबह—शाम नई पोशाकें धारण कराई जाएंगी।
पंचवटी सर्किल राजापार्क के मां वैष्णोदेवी मंदिर में सुबह 7:15 बजे घट स्थापना होगी। 8:15 बजे भोग व 8:30 बजे महाआरती की जाएगी। संध्या आरती 7:30 बजे तथा शयन आरती 10 बजे होगी। आमेर रोड पर मनसा माता मंदिर में तांत्रिक व वैदिक विधि से घटस्थापना की जाएगी। नवदुर्गा स्वरूपा नुसार षोडशोपचार पूजा व राजोपचार विधि से माता का पूजन शुरू होगा।
नरवर आश्रम सेवा समिति की ओर से खोले के हनुमानजी मंदिर में सुबह 12:15 बजे मंत्रोच्चार के साथ घटस्थापना की जाएगी। सूरजपोल के जागेश्वर महादेव मंदिर से आए पदयात्रियों ने हनुमानजी को ध्वज अर्पित किया व रात्रि जागरण किया।
बंगाली समाज की देवी पूजा षष्ठी से
बंगाली समाज की दुर्गापूजा षष्ठी से शुरू होगी। बनीपार्क दुर्गाबाड़ी, प्रवासी बंगाली कल्चरल सोसायटी की ओर से जय क्लब और बंगाली गोल्ड ऑरनामेंट सोसायटी की ओर से सुभाष चौक में देवी स्थापना की जाएगी।
मां को चुनरी ओढ़ाने की होड़
वैष्णोदेवी की आराधना का एक सरल उपाय है, माता को नई चुनरी चढ़ाना। पंचवटी सर्किल के वैष्णोदेवी मंदिर में भी देवी को नई पोशाक पहनाने के लिए भक्तों की लंबी कतार है। यहां पोशाक चढ़ाने के लिए चार माह की एडवांस बुकिंग चल रही है। माता को रोजाना तीन नई पोशाक पहनाई जाती है। नवरात्र में रोजाना पांच पोशाक बदली जाती है। फिर ये पोशाकें दोबारा कभी नहीं पहनाई जाती। मंदिर समिति के अध्यक्ष सुभाष भाटिया ने बताया-माता की उतरन पोशाक आम से खास तक को प्रसाद स्वरूप भेंट की जाती हैं। वर्तमान में माता के भंडार में करीब 600 नई चुनरी और साडिय़ां हैं। दुर्गापुरा के प्राचीन दुर्गामाता मंदिर में माता को नवरात्र की विशेष पोशाक चढ़ाने के लिए 2013 तक के नवरात्र की एडवांस बुकिंग हो चुकी है।

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