16 दिन के कनागत 10 से, 17 को कोई श्राद्ध नहीं
नहीं होंगे मांगलिक आयोजन, 25 को समापन
जयपुर। पितृगणों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का श्राद्ध पक्ष 10 सितंबर से शुरू होगा। इस बार एक ही दिन में दो तिथियां रहने से एक दिन में दो-दो श्राद्ध निकाले जा सकेंगे। सोलह दिवसीय पितृपक्ष में इस बार 17 सितंबर को श्राद्ध नहीं होगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू हो रहे पितृ पक्ष का समापन 25 सितंबर को होगा। ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्तम गौड़
ने बताया कि जो परिजन अपनी देह त्यागकर स्वर्ग सिधार गए, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ श्राद्ध करने का विधान है। मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। दिवंगत पूर्वजों को समर्पित पितृ पक्ष के दिनों में कोई शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह नहीं होते है। पं. गौड़ ने बताया कि इस बार पितृ पक्ष में 17 सितंबर को श्राद्ध की तिथि नहीं है। सप्तमी तिथि का श्राद्ध 16 सितंबर को और अष्टमी तिथि का श्राद्ध 18 सितंबर को निकाला जाएगा।श्राद्ध का शास्त्रोक्त विधान
कनागत पक्ष पूरी तरह दिवंगत परिजनों को समर्पित है। वे परिजन चाहे विवाहित हो या अविवाहित। बुजुर्ग हो या बालक अथवा पुरुष हो या महिला। जिनकी भी मृत्यु हो चुकी है वे पितर कहे जाते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख-शांति आती है।
किस तिथि को कौन सा श्राद्ध
पूर्णिमा श्राद्ध-प्रतिपदा श्राद्ध- 10 सितंबर
द्वितीय श्राद्ध - 11 सितंबर
तृतीया श्राद्ध - 12 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध - 13 सितंबर
पंचमी श्राद्ध - 14 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध - 15 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध - 16 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध - 18 सितंबर
नवमी श्राद्ध - 19 सितंबर
दशमी श्राद्ध - 20 सितंबर
एकादशी श्राद्ध - 21 सितंबर
द्वादशी श्राद्ध - 22 सितंबर
त्रयोदशी श्राद्ध - 23 सितंबर
चतुर्दशी श्राद्ध - 24 सितंबर
अमावस्या श्राद्ध - 25 सितंबर
मातामह या नाना श्राद्ध- 26 सितंबर
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