पीढ़ी-1
आयुर्वेदाचार्य पुरोहित डॉ. प्रभुदयाल व्यास ने आजादी से पहले अंग्रेजों के राज में करीब 38 वर्ष तक व्यास औषधालय, जयपुर में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने इस क्लिनिक में 1902 से 1940 तक लगातार सेवाएं दीं। आज भी फोटो में उनकी यादों के अवशेष शेष हैं। कई अंग्रेज अफसर एवं राजघराने पुरोहितजी के इलाज के मुरीद थे और अक्सर उनके पास इलाज के लिए आया करते थे। पुरोहितजी जयपुर राजघराने में राज वैद्य रहे थे।
पुरोहित डॉ. प्रभुदयाल व्यास के पुत्र डॉ. बृज मोहन शर्मा 1924 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस बैच के थे। उन्होंने एलौपेथी पद्धति से इलाज के दौर में जयपुर एवं झुंझुनूं शहर में अग्रणी भूमिका निभाई एवं इसे बढ़ावा भी दिया। उन्होंने 1956 तक लगातार शहर में सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने कई स्थानों पर निशुल्क चिकित्सा शिविर की परिपाटी को शुरू किया, जिसको बेहद सराहा गया। उन्होंने तत्कालीन अंग्रेज अफसरों के साथ ही जयपुर स्टेट की ओर से भी उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
पीढ़ी-3
डॉ. बृज मोहन शर्मा के पुत्र डॉ. हेमंत कुमार शर्मा 1947 में एसएमएस के मेडिकल कॉलेज के तीसरे बैच के एमबीबीएस थे। इसके बाद उन्होंने एमएस (एनेस्थिसिया) किया। इस दौर में एमएस एनेस्थिसिया करने वाले चंद चिकित्सकों में वे शामिल थे। उन्होंने अपनी सेवाएं लंबे समय तक दीं एवं वर्ष 2013 में उनके देहांत से 15 साल पूर्व तक वे अपनी चिकित्सकीय प्रेक्टिस में व्यस्त रहते थे। वे जयपुर के प्रतिष्ठित एसएमएस मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त हुए।
पीढ़ी-4
पीढ़ी-5
डॉ. विवेक शर्मा के पुत्र डॉ. प्रसून शर्मा 2017 एमबीबीएस बैच के है। वे भी आगे उच्च अध्ययन के लिए कार्यरत हैं।
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