घट स्थापना के साथ गुप्त नवरात्र शुरू देवी मंदिरों में होंगे विशेष अनुष्ठान


जयपुर। माघ शुक्ल प्रतिपदा बुधवार को कलश स्थापना के साथ गुप्त नवरात्र प्रारंभ हो गए। तांत्रिक पद्धति से जुड़े साधक शुभ मुहूर्त में शक्ति स्वरूपा जगदंबा की गुप्त आराधना में जुट गए। आमेर के शिला माता मंदिर, मनसा माता मंदिर, दुर्गापुरा के दुर्गा मंदिर, घाटगेट श्मशान स्थित काली मंदिर में तांत्रिक पद्धति से पूजा-अर्चना की गई। आगरा रोड की ग्रीन पार्क कॉलोनी में ज्योतिषाचार्य नीलमणि शास्त्री ने भगवती का षोडशोपचार पूजन कर दुर्गा सप्तशती और भैरव नामावली के 108 पाठ किए। देवी मंदिरों में नौ दिन तक अनुष्ठान होगा। इस दौरान दस महाविद्याओं की देवी की पूजा-उपासना की जाएगी। गुप्त नवरात्र 10 फरवरी को समाप्त होंगे। गुप्त नवरात्र को तंत्र साधना के लिए श्रेष्ठ माना गया है। ज्योतिषाचार्य नीलेश शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक वर्ष चार नवरात्र मनाए जाते हैं। प्रथम माघ महीने में और तीसरे आषाढ़ माह में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाते हैं और वहीं दूसरे चैत्र महीने में आने वाले चैत्र नवरात्र और चौथे और अंतिम अश्विन महीने में आते हैं। इन्हें अश्विन नवरात्र या शारदीय नवरात्र कहा जाता है। खास बात यह है कि इस गुप्त नवरात्र के दौरान ग्रहों के खास योग बन रहे हैं।  19 साल बाद गुप्त नवरात्र में राहु अपनी मित्र राशि वृषभ में स्थित है। इससे पूर्व 19 वर्ष पूर्व 2 फरवरी 2003 को गुप्त नवरात्र  के आरंभ में राहु वृषभ राशि में स्थित थे। वर्तमान में सूर्य और शनि भी एक साथ मकर राशि में स्थित हैं। मकर के स्वामी ग्रह भी शनि हैं तो तंत्र  साधकों के अनुसार सूर्य-शनि के एक साथ एक ही राशि में होने से तंत्र क्रियाएं आसानी से हो जाएंगी। गुप्त नवरात्र में जो लोग तंत्र साधना करते हैं उनका विशेष फल प्राप्त होगा। 

तंत्र-मंत्र की साधना का स्वर्णिम काल

गुप्त नवरात्र को तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाला माना गया है। विशेष पूजा से कई प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। गुप्त नवरात्र में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए मां दुर्गा की उपासना की जाती है। कई साधक आत्मसुख की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना करते हैं। इस दौरान मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा का विधान है। शास्त्रों में गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व बताया गया है। 

इन कार्य सिद्धि के लिए विशेष फलदायी

गुप्त नवरात्र में माता की आराधना से कोर्ट में विजय, संतान सुख, उच्चाटन, आकर्षण आदि कई लाभ होने का उल्लेख मिलता है। राजनीतिक सफलता के लिए पद प्राप्ति एवं कई साधक आत्मसुख की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना करते हैं। इस बार गुप्त नवरात्र इसलिए भी खास हंै, क्योंकि इस दौरान देवी सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी भी 5 फरवरी को मनाया जाएगा।  गुप्त नवरात्र में पूजा और व्रत रखने वाले अपनी पूजा को गुप्त रखते हैं। इसके पीछे धारणा है कि पूजा गुप्त रखने से उसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है। 

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