गजकेसरी जितना शक्तिशाली है शुक्रकेसरी योग: पं. सतीश शर्मा


जयपुर। इंटरनेशनल वास्तु एकेडमी के अध्यक्ष सतीश शास्त्री ने कहा है कि भारतीय प्राचीन वाङ्गमय में बृहस्पति से बनने वाले योगों की बहुत प्रशंसा की गई है। गजकेसरी योग तो अति प्रसिद्ध हुआ है, परंतु शुक्र को भी बृहस्पति से कम शक्तिशाली नहीं माना गया है। शास्त्री ने एक वेबिनार को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि केंद्र में शुक्र का होना बृहस्पति की ही भांति अत्यंत शुभ फल देता है, परंतु अगर वह केंद्र में अपनी स्वयं की राशि वृषभ या तुला में या उच्च राशि मीन में हो तो मालव्य योग का फल प्रदान करते हैं। यह योग इतना ही शक्तिशाली है जितना पंचमहापुरुष योगों में ही एक अन्य योग हंस योग है। हंस योग में बृहस्पति जन्म पत्रिका के केन्द्र में अपनी ही राशि धनु या मीन में या उच्च राशि कर्क में स्थित होते हैं। केन्द्र स्थित शुक्रने अत्यंत शक्तिशाली परिणाम दिए हैं। कुछ जन्म पत्रिकाओं में यह साफ देखा जा सकता है। इनमें गजकेसरी योग नहीं है, परन्तु शुक्र से बनने वाले योगों के कारण व्यक्तियों के जीवन में महानता आ गई है। यदि शुक्रकेन्द्र में हो या चन्द्रमा से केन्द्र में हो तो समान रूप से शक्तिशाली होते हैं और राजयोग कारक भी होते हैं। यद्यपि गजकेसरी योग के लोग सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए पाए जाते हैं परन्तु चन्द्र-शुक्र से बनने वाले योग भी कम शक्तिशाली नहीं होते और लोगों के जीवन में बहुत उन्नति देखने को मिलती है।      

राजनीति में सफल बनाता है गजकेसरी

 गजकेसरी योग वाले व्यक्ति जीवन में राजनीति या क्षेत्राधिकार से संबंधित मामलों में अधिक सफल पाए जाते हैं परंतु शुक्र से बनने वाले योगों में व्यक्तिकला क्षेत्र में अधिक सफल पाए गए हैं। शुक्रकला क्षेत्रों में और गंधर्व विद्याओं के प्रणेता हैं और गंधर्व विद्याओं में अधिक सफलताएं देते हैं या आध्यात्म की ओर ले जाते हैं। यद्यपि कुछ उच्च कोटि के राजनेता भी चन्द्र-शुक्रयुति या चन्द्र-शुक्रकेंद्रीय संबंध वाले हुए हैं। 

महान ग्रहों से मिली पहचान

सतीश शर्मा ने कहा कि एक विशेष श्रेणी उन लोगों की है, जिनकी जन्म पत्रिओं के लग्न से या चंद्रमा से केन्द्र में स्थित दोनों ही महान ग्रह गुरु और शुक्रस्थित हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला और जेआरडी टाटा शामिल हैं। कई फिल्मकारों, विश्वप्रसिद्ध लेखकों, शीर्ष व्यवसायियों और राष्ट्राध्यक्षों की जन्मपत्रिकाओं में शुक्रविशेष योग बना रहे हैं, इसलिए चंद्रमा से केंद्र में शुक्र होने पर उतना ही शक्तिशाली योग पाया गया है जितना कि गजकेसरी योग। 

Post a Comment

0 Comments