दो दिन रहेगी अमावस्या, 31 जनवरी को सोमवती, एक फरवरी को मौनी


जयपुर। नए साल की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग में आएगी। एक फरवरी को मौनी अमावस्या रहेगी। गोविंद देवजी मंदिर में एक फरवरी को ही अमावस्या की झांकी सजेगी। इस दिन पितृगणों के निमित्त तर्पण और हवन किया जाएगा, वहीं भगवान शिव और विष्णु की उपासना भी की जाएगी। सोमवती अमावस्या को छोटीकाशी के श्रद्धालु गलताजी में डुबकी नहीं लगा पाएंगे मगर उन्हें गलताजी पीठ की ओर से स्नान करने के लिए जल उपलब्ध करवा दिया जाएगा। इस साल 13 अमावस्या का संयोग बन रहा है। सोमवार को आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व बताया गया है। इस दिन महिलाएं संतान और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। व्रत में महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में सोमवती अमावस्या रहेगी और दोपहर 2:15 बजे बाद अमावस्या आने से अगले दिन यानी एक फरवरी को भी सूर्य उदय अमावस्या में ही होगा। 

यह है धार्मिक मान्यता

ज्योतिषाचार्य पं. नीलेश शास्त्री ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष के मूल भाग में भगवान विष्णु, अग्रभाग में ब्रह्मा और तने में भगवान शिव का वास होता है, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस अमावस्या के दिन व्रत पूजन और पितरों को जल देने से बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है। सुहागिनों के लिए तो इस व्रत का खास महत्व है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने और शिव पार्वती की पूजा करने से सुहाग की आयु लंबी होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन में स्नेह और सद्भाव बढ़ाने के लिए भी सुहागिनों को सोमवती अमावस्या का व्रत पूजा करना चाहिए।

साल में कुल 13 अमावस्या

इस साल 13 अमावस्या तिथि हैं। इनमें  दो ही सोमवती अमावस्या हंै। साल की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है और दूसरी ज्येष्ठ मास में 30 मई को। पंचांग गणना के अनुसार 31 जनवरी को दोपहर में 2 बजकर 19 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है। इसके बाद से अमावस्या तिथि लग जाएगी। एक फरवरी को अमावस्या तिथि सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक है, इसलिए 31 जनवरी को भी पितृ कार्य के लिए अमावस्या मान्य है। सर्वार्थ सिद्धि योग होने की वजह से सोमवती अमावस्या का दिन दोगुने फल देने वाला है।

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