लाइफ में फेलियर कुछ नहीं, हर एक्सपीरियंस कुछ जरूर सिखाता है: आईएएस गुहा


जयपुर। लाइफ  में फेलियर कुछ नहीं होता है, हर एक्सपीरियंस कुछ न कुछ सिखाता है। बहुत बार ऐसा होता है कि हम कोशिश तो करते हैं, लेकिन सक्सेस नहीं मिलती। आमतौर पर लोग इसे फेलियर कहते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि लाइफ  में फेलियर जैसा कोई शब्द ही नहीं है। फेलियर तब होता है, जब आप खुद हार मानकर बैठ जाएं। ये कहना है फॉरेस्ट और एनवायर्नमेंट डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सेक्रेटरी आईएएस श्रेया गुहा का। गुहा ने यह विचार फोर्टी विमन विंग की ओर से आयोजित ऑनलाइन सेशन में व्यक्त किए। इस अवसर पर गुहा ने फोर्टी प्रेसिडेंट नेहा गुप्ता, सेक्रेटरी ललिता कुच्छल, सुनीता शर्मा, पूनम मदान, राज कुमारी, नीलम मित्तल और रूपल अग्रवाल सहित अन्य सदस्यों के साथ अपनी सक्सेस जर्नी और लाइफ  से जुड़े एक्सपीरियंस शेयर किए। उन्होंने सफलता पर अपनी बात रखते हुए कहा कि सक्सेस की कोई एक परिभाषा नहीं हो सकती। हर इंसान के लिए सफलता के अलग-अलग मायने हैं। सक्सेस वह नहीं है, जिसे दुनिया आपके लिए तय करती है, बल्कि सक्सेस वह है, जिसे आपने खुद के लिए प्लान किया है। जिस गोल को अचीव करने से आपको खुशी मिलती है, असल मायने में यही सक्सेस है।  

रेस में बने रहना चैलेंजिंग
कोविड के बाद अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। रेस में बने रहने के लिए स्वयं को इनोवेशन करते रहना होगा। लॉकडाउन में राजस्थान के आर्ट एंड कल्चर को ऑनलाइन प्रमोट किया, जिसे दुनियाभर से सराहना मिली। यहां के मॉन्यूमेंट्स के वर्चुअल टूर को सबसे ज्यादा पसंद किया गया। ठीक ऐसे ही अब एंटरप्रेन्योर्स को इनोवेशन के साथ आगे बढऩा होगा।

हर औरत में एक सुपर वुमन है
एक औरत परिवार में कई भूमिकाएं निभाती है तभी तो उसने हमें कई सारी जिम्मेदारियां दी हंै। हर औरत एक सुपर वुमन है। हम जैसी वर्किंग विमंस को अक्सर लगता है कि जॉब के कारण हम बच्चों को ज्यादा टाइम नहीं दे पाती। इसका दूसरा पहलू ये भी है कि आपके बच्चे की आप पर डिपेंडेंसी कम होने से वह अपनी जिम्मेदारियों को समय से समझने लगेगा, इसलिए ऐसा गिल्ट रखने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। हां बच्चों के साथ क्वालिटी ऑफ  इंटरेक्शन में कोई कमी नहीं आनी चाहिए।

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