पं. नवल किशोर शर्मा नहीं रहे











 

























जन्म : 5 जुलाई, 1925     निधन : 8 अक्टूबर, 2012
जयपुर. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और गुजरात के पूर्व राज्यपाल पंडित नवल किशोर शर्मा का 8 अक्टूबर, 2012 को जयपुर फोर्टिस अस्पताल में रात 11:15 बजे निधन हो गया। 88 वर्षीय शर्मा कई दिनों से बीमार थे। उनके पुत्र बृजकिशोर राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री हैं।
शर्मा की पार्थिव देह जनता कॉलोनी स्थित निवास बी-50 पर सुबह 7:30 बजे से अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई। दोपहर बाद 3.30 बजे आदर्श नगर श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार हुआ।
अंतिम विदाई देने के लिए खास से लेकर आम आदमी तक उमड़ पड़ें। जनता कॉलोनी में उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने के लिए तांता लगा रहा। अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए जयपुर, दौसा, अलवर, सवाईमाधोपुर, करौली सहित कई जिलों से नेता और आम कार्यकर्ता पहुंचे। गुजरात के विधानसभा अध्यक्ष गणपत भाई वसावा और वित्त मंत्री वजु भाई वाला, ओएसडी बाबूलाल निर्झर नवल किशोर शर्मा की अंतिम यात्रा में शरीक हुए। सोनिया गांधी की ओर से मुकुल वासनिक ने और यूपी के राज्यपाल बीएल जोशी और हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा की ओर से एडीएम ईस्ट रामावतार मीणा ने पुष्प चक्र अर्पित किए।
श्रद्धांजलि : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, सीपी जोशी, भंवर जितेंद्रसिंह, नमोनारायण मीणा, महादेवङ्क्षसह खंडेला, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान, प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया, नरपत सिंह राजवी, पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह सहित राजस्थान के करीब सभी मंत्री, कांग्रेस और भाजपा के पदाधिकारी श्रद्धांजलि देने वालों में शामिल थे।
जीवन परिचय
बाऊजी के नाम से लोकप्रिय पं. नवल किशोर शर्मा का जन्म 5 जुलाई 1925 को दौसा में हुआ। शर्मा ने जयपुर के महाराजा स्कूल से बीए और आगरा यूनिवर्सिटी से एलएलबी तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंंने वकालत शुरू की। वकालत के  दौरान ही शर्मा ने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। शर्मा छात्र जीवन से ही आजादी के आंदोलन से जुड़ गए। खादी संस्थाओं में वे ताउम्र सक्रिय रहे। सहकारिता आंदोलन में भी उनकी खास रुचि थी। देश के आजाद होने के साथ ही वे राजनीति में सक्रिय हो गए। शर्मा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहने के साथ 2004 से लेकर 2009 तक गुजरात के राज्यपाल रहे।
राजनीतिक सफरनामा
शर्मा 1951 में दौसा नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए और 1956 तक इस पद पर रहे। 1952 से 1956 तक वे जयपुर जिला बोर्ड के सदस्य रहे। 1968 में वे पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सांसद चुने गए, दूसरी बार फिर कांग्रेस के टिकट पर 1971 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। वे कांग्रेस में भी कई अहम पदों पर रहे। शर्मा 1971 से 1972 तक कांग्रेस संसदीय दल के सचिव, 1972 से 73 तक पब्लिक अंडरटेकिंग कमेटी के अध्यक्ष, 1973 से 1977 तक सोशलिस्ट इंडिया और सोशलिस्ट भारत के संपादक और कांग्रेस हिस्ट्री प्रोजेक्ट कमेटी प्रोजेक्ट के सचिव रहे। वे 1974 से 77 तक एआईसीसी के संयुक्त सचिव, 1980 से 82 तक इंटक के अध्यक्ष रहे। शर्मा 1982 से 1985 तक राजस्थन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। शर्मा पांच बार सांसद रहे। वे आखिरी बार 1996 में लोकसभा संासद का चुनाव जीते। 1998 में वे जयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक भी चुने गए। शर्मा केंद्र में 1984 में वित्त राज्य मंत्री और 1985 से 1986 तक पेट्रोलियम व गैस मंत्री रहे। इसके अलावा शर्मा केंद्र और राज्य सरकार के कई अहम पदों पर भी रहे।
खादी थी पसंद
बाऊजी छात्र जीवन में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। उसके बाद राजनीति की मुख्य धारा से जुड़ गए। उनका शुरू से ही खादी के प्रति लगाव रहा। इसलिए उन्होंने खादी व ग्रामोद्योग तथा सहकारिता आंदोलन खड़ा किया। बाऊजी के नाम से विख्यात शर्मा 40 से 50 साल तक खादी आंदोलन से जुड़े रहे।
कई देशों का दौरा किया
नवल किशोर शर्मा ने यू.के., यूएसए, अर्जेंटीना, ब्राजील, वियतनाम, उगांडा, इजिप्ट, ग्रीस, स्पेन, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मॉरिशस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, क्यूबा, हंगरी, स्विट्जरलैंड, जर्मनी व कई अन्य देशों का दौरा कर वहां के शिक्षा के स्तर को पहचाना और यहां उसका फायदा युवाओं को दिलाने में भूमिका निभाई।
पान और पान मसाले के शौकीन
नवल किशोर शर्मा पान और पान मसाला खाने के जबर्दस्त शौकीन थे। उनका यह शौक ताउम्र जारी रहा।
वहां से भी चिट्ठी लिखना नहीं भूले
पंडित नवल किशोर शर्मा गुजरात के राज्यपाल रहे, लेकिन राजस्थान में अपनों को नहीं भूले। जयपुर में किसी का जन्मदिन हो, किसी के घर बच्चे ने जन्म लिया हो या किसी की शादी, वे चिट्ठी लिखना नहीं भूले। पोस्टकार्ड लिखते, बधाई हो, आपके यहां जो खुशियां आई हैं उनके लिए। जयपुरवासियों के प्रति उनकी आत्मीयता कोई नहीं भूल पाया। उनसे जुड़े हर कार्यकर्ता को वे नाम से जानते थे और कार्यकर्ता के हर सुख-दुख में हमेशा साथ खड़े रहते थे।
राजनीति के साथ साहित्य और कला में भी महारत
पं. नवल किशोर शर्मा ने राजनीति के साथ साहित्य और कला जगत में भी अपनी छाप छोड़ी। शर्मा सोशलिस्ट इंडिया और सोशलिस्ट भारत जैसे पत्रों के संपादक रहे। शर्मा को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी ने 1998 में मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी।

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1 Comments

  1. पंडित जी को विनम्र श्रद्धांजलि!

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