ठाकुरजी ने किया नौका विहार

आराध्यदेव गोविंददेवजी

गोनेर में लक्ष्मी-जगदीश को नौका विहार कराते श्रद्धालु।

जलझूलनी एकादशी पर वर्षों बाद तालकटोरा में ठाकुरजी ने किया भ्रमण।
जयपुर . जलझूलनी एकादशी पर बुधवार को ठाकुरजी को डोले में विराजमान कर नौका विहार कराया गया। मुख्य कार्यक्रम गोविंददेवजी और गोनेर के लक्ष्मी जगदीश मंदिर में हुआ। गोविंददेवजी को नई पोशाक धारण कराई गई। जगह-जगह भगवान सालिगरामजी की डोला यात्रा निकली। गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ग्वाल झांकी के बाद सालिगरामजी को चौकी में बिठाकर तुलसा मंच ले जाया गया। तत्पश्चात सालिगरामजी की पूजाकर वापस गर्भगृह में लाकर विराजमान किया गया। पुरानी बस्ती के राधागोपीनाथजी मंदिर और चांदनी चौक के आनंदकृष्ण बिहारीजी मंदिर में उत्सव मना। आनंदबिहारीजी में सुबह पुजारी मातृ प्रसाद शर्मा ने ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया। भगवान को लाल रंग की पोशाक और चांदी का मत्स्य मुकुट धारण कराया गया। पानों का दरीबा सरस निकुंज में शुकसंप्रदायाचार्य अलबेली माधुरीशरण के सान्निध्य में ठाकुरजी का ऋतुपुष्पों से शृंगार हुआ। 
जगन्नाथ सरोवर तक निकला डोला : गोनेर के लक्ष्मी-जगदीश को मंदिर के पास जगन्नाथ सरोवर में नौका विहार के लिए ले जाया गया। महंत हनुमानदास के सान्निध्य में शाम को शोभायात्रा निकली, ठाकुरजी को पालकी में बिठाकर सरोवर तक ले जाया गया। इस मौके पर जगन्नाथ सरोवर की पाल पर विराजित विजय हनुमान मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग की मनमोहक झांकी सजाई गई। इसी तरह खातीपुरा के लक्ष्मी-नृसिंहजी मंदिर में शोभायात्रा निकली। शाम को ठाकुरजी को हाथी, घोड़े के लवाजमे के साथ पालकी में बिठाकर झारखंड महादेव मंदिर तक लाए। मंदिर में शाम को भजन संध्या का आयोजन हुआ।

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