सप्ताह में तीन बार चढ़ता है बालाजी के सोने का चोला

 मेहंदीपुर बालाजी . धार्मिक नगरी में स्थित बालाजी महाराज के सात दिन में तीन दिन सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को पंचामृत से स्नान कराकर मंत्रोचार से सोने का चोला चढ़ाया जाता है। बालाजी महाराज की मूर्ति से उतरने वाले चोले को दूर—दराज से आए श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है। मान्यता है कि बालाजी महाराज के श्रद्धालु कई तरह की मनौती बोलते है, जिसमें सवामनी, भंडारा व अर्जी के साथ ही बालाजी के सोने—चांदी का चोला भी चढ़ाया जाता है। बड़ी संख्या में ऐसे श्रद्धालु प्रतिदिन आते है, जो बाबा के चोला चढ़ाकर ही दर्शन कर मनौती पूरी करते है। दिल्ली से आए पियूस अग्रवाल, मुम्बई से सूमन नायक व मध्य प्रदेश के ग्वालियर से मोहित आचार्य, सुमंत पंडा व हरकेश गुप्ता का कहना है कि जब भी बाबा से मन्नत मांगने आते है तो बालाजी महाराज की जल भभूती के साथ चोला जरूर ले जाते  है। वही देश के अनेक प्रांतो से बाबा के दर्शन करने आऐ सैकड़ों भक्तों का कहना है कि हमारा परिवार साल में दो बार बाबा के सोने का चोला जरूर चढ़ाते है। बालाजी महाराज के एक बार चढऩे वाले सोने केचोले की कीमत 22 से 30 हजार तक होती है। अगर  किसी सप्ताह कोई भक्त चोला नही चढ़ाता है तो बालाजी ट्स्ट की और से बालाजी महाराज के सोने का चोला चढ़ाया जाता है।
बाबा के दर्शनों को लगी भक्तों की कतार : धार्मिक नगरी बालाजी में अधिकमास के माह में बाबा के दर्शनों को लिए भक्तों की कतारे लग रही है। पूर्णिमा के दिन बालाजी में भक्तों की विशेष भीड़ रही। अधिकतर भक्तो का कहना है कि माह की प्रत्येक पूर्णमासी पर परिवार सहित बाबा के दर्शन करते है गुर्जर आरक्षण आंदोलन के चलते इस बार परिजनों को साथ लेकर नही आए है बाबा के दर्शन तो करने ही है। वही कई श्रद्धालुओं का कहना है कि बालको की छुटिटया चल रही है। बालाजी बाबा के दर्शन करने की मन्नत मांग रखी थी उसे पुरी करने के लिए बालाजी महाराज के दर्शन किए। वही कई श्रद्धालु अधिकमास में बाबा के दर्शनों से पुण्य मिलता है, इसलिए दर्शन कर बाबा के चोला चढ़ाया है।
सीताराम मंदिर में श्रीमद्भागवत पारायण का आयोजन  : धार्मिक नगरी बालाजी में सीताराम मंदिर में महंत किशोरपुरी महाराज के सानिध्य में चल रहे श्रीमद्भागवत पारायण महायज्ञ में प्रधान पाठक व्रदावन के पंडित प्रमोद बिहारी सारस्वत एवं निरीक्षक पं. श्रीकांत तिवाड़ी ने कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन कर कहा कि भगवान की लीलाओं में आनंद आता है। भगवान का कंस की काल कोठरी में जन्म होना पहरेदारों का सो जाना नंद बाबा द्वारा बरसात के मौसम में यमुना नदी को पार कर यशोदा के यहां कृष्ण को छोडऩा लीला नही तो क्या है। नंद के आनंद भयों जय कन्हैयालाल की पर श्रद्धालुओं ने नृत्य कर कृष्ण की भक्ति का परिचय दिया। इस अवसर पर आचार्य ने ब्राह्मण भगवान एवं भगवान कृष्ण की अलौकिक कथा का वर्णन कर प्रवचन में बताया कि आभूषण से भगवान की शोभा नही वरन आभूषण की शोभा बढ़ती है। परमात्मा अद्भूत है। नंद का मतलब आनंद व यशोदा का मतलब यश है। जहां परमात्मा  है वहा यश है कृष्ण कोई ओर नही वेद का स्वरूप है गोपियां इनकी त्र्ऋचाएं है ग्वाल इनके मंत्र है। भगवान ने माटी खाकर धरती का कर्ज उतारा उखल में बंधकर यमार्जुन का उद्वार किया। राक्षसों का संहार कर उनको बैकुंठ में पहुंचाया। महायज्ञ में बालाजी मंदिर ट्रस्ट सचिव सहित आयोजकों ने महायज्ञ में आए सभी श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत की प्रसादी बांटी।

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